प्राचीन ज्योतिष शास्त्र से आपकी मिथुन राशि

मिथुन लतीनी भाषा के शब्द जुड़वाँ बच्चों से निकला है और दो व्यक्तियों के चित्र को निर्मित करता है, आमतौर पर (परन्तु सदैव नहीं) यह ऐसे पुरुषों को दिखाता है, जो जुड़वाँ सन्तान होते हैं। प्राचीन राशि चक्र के आधुनिक ज्योतिष राशिफल में, आप मिथुन राशि वालों के लिए प्रेम, अच्छे भाग्य, स्वास्थ्य और अपने व्यक्तित्व पर गूढ़ ज्ञान प्राप्त करने के लिए इस कुंडली से सम्बन्धित सलाह का पालन करते हैं।

परन्तु मिथुन का हमारे पूर्वजों के लिए क्या मतलब था?

सावधान रहिए! इसका उत्तर देने से आपकी ज्योतिष विद्या अनपेक्षित तरीके से खुल जाएगी – आपको एक अलग ही यात्रा पर ले जाएगी, उस तुलना में जिसका आपने अपनी कुंडली की जाँच करते समय इरादा किया था…

हमने प्राचीन ज्योतिष विद्या की खोज की, और कन्या से वृष राशि तक की प्राचीन कुंडली की जाँच करने के बाद, हम मिथुन राशि के साथ आगे बढ़ते हैं।

तारों में मिथुन नक्षत्र का ज्योतिष विज्ञान

मिथुन तारा मण्डल अर्थात् नक्षत्र के इस नीचे दिए गए चित्र को देखें। क्या आप तारों में जुड़वाँ बच्चों जैसा कुछ देख सकते हैं?

मिथुन तारा नक्षत्र का चित्र। क्या आप जुडवा बच्चों को देख सकते हैं?

यदि हम मिथुन राशि के तारों को रेखाओं से जोड़ते हैं, तो जुड़वाँ बच्चों को ‘देखना’ और भी अधिक कठिन हो जाता है। हम दो व्यक्तियों को देख सकते हैं, परन्तु ये ‘जुड़वाँ’ कैसे पैदा हुए?

रेखाओं से जुड़े हुए तारों के साथ मिथुन राशि

यहाँ नीचे राष्ट्रीय भूगौलिक राशि चक्र का तारों वाला एक आरेख है, जिसमें उत्तरी गोलार्ध में मिथुन को दिखाया गया है।

राष्ट्रीय भूगौलिक राशि चक्र का तारों वाला आरेख जिसमें मिथुन पर गोला लगाया हुआ है

मिथुन राशि वाले तारों को रेखाओं से जोड़ने पर भी जुड़वाँ बच्चों को देखना मुश्किल प्रतीत होता है। परन्तु मानव इतिहास को हम जहाँ तक जानते हैं, उसमें कर्क राशि का यह चिन्ह वहाँ तक वापस चला जाता है।

पुनर्वसु-पॅलक्स (Pollux) और पुनर्वसु-कैस्टर (Castor) या दियुसकूरी बहुत पहले

बाइबल में मिथुन राशि का उल्लेख मिलता है, जब पौलुस और उसके साथी जहाज से रोम की यात्रा कर रहे थे और उन्होंने इस पर ध्यान दिया था

तीन महीने के बाद हम सिकन्दरिया के एक जहाज पर चल निकले, जो उस द्वीप में जाड़े भर रहा था, और जिसका चिह्न दियुसकूरी था।

प्रेरितों 28:11

दियुसकूरी देवतागण मिथुन राशि के दो जुड़वाँ बच्चों के पारंपरिक नाम हैं। इससे पता चलता है कि लगभग 2000 साल पहले जुड़वाँ बच्चों का यह दैवीय विचार सामान्य रूप से प्रचलित था।

पिछले वाली राशि नक्षत्रों की तरह ही, दो जुड़वाँ बच्चों के चित्र से नक्षत्र सीधे ही स्पष्ट नहीं होता है। यह तारा मण्डल के भीतर अपने आप नहीं पाया जाता है। बल्कि सबसे पहले जुड़वाँ बच्चों का विचार आया। आरम्भिक ज्योतिषियों ने इस विचार को एक संकेत के रूप में तारों पर गढ़ दिया। हमारे पूर्वज अपने बच्चों को मिथुन राशि की ओर इशारा कर सकते थे और उन्हें जुड़वाँ बच्चों से जुड़ी कहानी बता सकते थे। यही इसका मूल ज्योतिषीय उद्देश्य था जैसा कि हमने यहाँ देखते हैं।

परन्तु मूल रूप से इसका क्या अर्थ था?

राशि चक्र में मिथुन

यहाँ नीचे मिस्र के प्राचीन डेंडेरा मन्दिर में इस राशि से सम्बन्धित चित्र दिया गया है, जिसमें मिथुन के चित्र के ऊपर लाल रंग का गोला लगाया हुआ है।

प्राचीन मिस्र के डेंडेरा मन्दिर में राशि चक्र में मिथुन राशि पर गोला लगाया हुआ है

प्राचीन डेंडेरा राशि में, दो लोगों में से एक स्त्री है। यह राशि दो जुड़वाँ पुरुष के बजाय एक पुरुष-स्त्री जोड़े को मिथुन के रूप में दर्शाती है।

यहाँ मिथुन राशि से सम्बन्धित कुछ सामान्य ज्योतिषीय चित्र दिए गए हैं

 मिथुन राशि का ज्योतिषीय चित्र – सदैव एक जोड़ी परन्तु कभी-कभी आज के समय तक पुरुष/स्त्री के रूप में

मिथुन प्राचीन काल से सदैव एक जोड़ी क्यों रही है? परन्तु ये पुरुष सदैव जुड़वाँ नहीं होते हैं?

प्राचीन कहानी में मिथुन

हमने देखा कि बाइबल कहती है कि सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने अपनी कहानी प्रकट करने के लिए नक्षत्रों को बनाया। यह कन्या राशि से लेकर अन्य राशियों तक हमें इसी कहानी को दिखा रहे हैं।

मिथुन इस कहानी को आगे बढ़ाता है। हो सकता है कि आप आधुनिक कुंडली भावार्थ में मिथुन न हों, परन्तु मिथुन राशि की ज्योतिषीय कहानी जानना लाभदायी है।

मिथुन राशि का मूल अर्थ

मिथुन राशि के तारों के नाम से हमें इसके मूल अर्थ का पता चलता है। बाद के यूनानी और रोमी मूर्तिपूजक मिथकों ने मिथुन राशि से जुड़े इस मूल अर्थ को अब विकृत कर दिया है।

मध्यकालीन युग में अरबी ज्योतिषियों ने नक्षत्रों अर्थात् तारामण्डलों को प्राचीन काल से ही नाम दिया है। अरबी में इसे “अल-रास अल-तूअम अल-मुक़ादिम” (رأس التوأم المقدم‎) कहते है, जिसका अर्थ “आगे वाले जुड़वाँ (व्यक्ति या बच्चे) का सिर”। याद रहे कि “मिथुन तारामण्डल” का अर्थ भी “जुड़वाँ (व्यक्ति या बच्चों) तारामण्डल” होता है। इसमें पुनर्वसु-कैस्टर अर्थात् अल-तूअम मुख्य तारा है, जिसका अर्थ “पिछला पैर” है, पुनर्वसु-कैस्टर के पैर का वर्णन मिलता है। इसे बाइबल की भाषा में सकूरी के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है “एड़ी।” एक अन्य प्रमुख तारे का पारंपरिक नाम मेबसुता है, जो प्राचीन अरबी भाषा मबसुह से आया है, जिसका अर्थ “फैला हुआ पंजा” है। अरबी संस्कृति में, मबसुह शेर के पंजे का प्रतिनिधित्व करता था।

पुनर्वसु-पॅलक्स को अरबी भाषा के “अल-रास अल-तूअम अल-मुक़ादिम से “दूसरे जुड़वे व्यक्ति या बच्चे के सिर” के रूप में जाना जाता है। इसका अर्थ एक ही समय में पैदा हुए दो बच्चों जितना नहीं है, बल्कि दो के पूर्ण हो जाने या जुड़ जाने का है। मूसा की व्यवस्था इसी शब्द का उपयोग करती है, जब यह वाचा के सन्दूक में पाई जाने वाली दो तख़्तियों के बारे में बात करती है

और जहाँ ये दोनों परदे जोड़े जाएँ वहाँ के दोनों छोरों पर नीले नीले फन्दे लगवाना।

निर्गमन 26:24

जैसे वाचा के सन्दूक में दो तख़्तियों को आपस में जोड़ कर रखा गया था, ठीक वैसे ही मिथुन राशि में दोनों को जन्म के समय से नहीं, बल्कि एक साथ आपस में जोड़ने के द्वारा इक्ट्ठा किया गया है। चूंकि पुनर्वसु-कैस्टर या सकूरी की पहचान ‘एड़ी’ (वृश्चिक) और ‘शेर का पँजा’ (सिंह) से की जाती है, इसलिए दोनों ही यीशु मसीह के विषय में भविष्यद्वाणियाँ हैं, इस तरह पुनर्वसु-कैस्टर या सकूरी यीशु की वापसी पर उसका ज्योतिषीय चित्र है।

परन्तु उसके साथ कौन जुड़ा है?

लेख दो छवियों को प्रदान करता है, जो मिथुन राशि के दो चित्रों के रूपों को समझाते हैं

• 1) जोड़े गए भाई

• 2) एक पुरुष-स्त्री की जोड़ी।

मिथुन- पहिलौठा…

सुसमाचार यीशु मसीह के बारे में बताता है कि

कुलुस्सियों 1:15

वह तो अदृश्य परमेश्‍वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है।

‘पहिलौठे’ का अर्थ है कि दूसरे बाद में आएँगे।

क्योंकि जिन्हें उसने पहले से जान लिया है उन्हें पहले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों, ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।

रोमियों 8:29

यह चित्र सृष्टि रचना की ओर वापस ले जाता है। जब परमेश्वर ने आदम और हव्वा को बनाया तो उसने उन्हें इस तरह से रचा

तब परमेश्‍वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्‍वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्‍टि की।

उत्पत्ति 1:27

परमेश्वर ने आदम/मनु को परमेश्वर की एक आवश्यक आत्मिक स्वरूप और समानता में रचा। इस प्रकार आदम को यह कहा जाता है

और वह एनोश का, और वह शेत का, और वह आदम का, और वह परमेश्‍वर का पुत्र था।

लूका 3:38

…और गोद लिए हुआ भाई मिथुन

जब आदम ने परमेश्वर की अवज्ञा की तो उसने इस स्वरूप और समानता को नुकसान पहुँचाया और हमारे पुत्रत्व को नष्ट कर दिया। परन्तु जब यीशु मसीह ‘पहलौठे पुत्र’ के रूप में आया तो उसने इस स्वरूप और समानता को पुन: बहाल कर दिया। इसलिए अब यीशु के द्वारा…

12परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्‍वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्‍वास रखते हैं। 13वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्‍वर से उत्पन्न हुए हैं।

यूहन्ना 1:12-13

हमें जो उपहार या वरदान दिया गया है, वह ‘परमेश्वर की सन्तान बनना’ है। हम परमेश्वर की सन्तान के रूप में पैदा नहीं हुए थे, परन्तु यीशु मसीह के द्वारा हम गोद लेने के द्वारा उसकी सन्तान बनते हैं।

परन्तु जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को भेजा जो स्त्री से जन्मा, और व्यवस्था के अधीन उत्पन्न हुआ।

गलातियों 4:4

यह हमें तुला राशिफल की ओर ले जाता है। परमेश्वर हमें यीशु मसीह के माध्यम से अपनी सन्तान के रूप में गोद लेता है, जिसे यीशु मसीह के वरदान के द्वारा किया जाता है, जो कि पहिलौठा है।

उसके लौटने पर यीशु मसीह राजा के रूप में राज्य करेगा। गोद लिए गए छोटे भाई की भूमिका के इस दर्शन के साथ बाइबल समाप्त होती है।

फिर रात न होगी, और उन्हें दीपक और सूर्य के उजियाले की अवश्यकता न होगी, क्योंकि प्रभु परमेश्‍वर उन्हें उजियाला देगा, और वे युगानुयुग राज्य करेंगे।

प्रकाशितवाक्य 22:5

यह बाइबल का लगभग अन्तिम वाक्य है, क्योंकि यह सभी चीजों की पूर्ति की ओर देखता है। वहाँ यह गोद लिए गए भाइयों को पहलौठे के साथ राज्य करते हुए दिखाता है। मिथुन ने हमारे पूर्वजों को इसे सबसे पहले और स्वर्ग में शासन करने वाले दूसरे भाइयों के रूप में चित्रित किया।

मिथुन – पुरुष और स्त्री एक हो गए

बाइबल एक पुरुष और स्त्री के विवाह का उपयोग मसीह और उनके बीच के संबंधों को चित्रित करने के लिए भी करती है। सृष्टि रचना वाले सप्ताह के शुक्रवार को हव्वा की रचना और आदम से विवाह के विवरण ने इसे उद्देश्यपूर्ण रूप से मसीह के साथ एक होने के पूर्वाभास को दिया है। मेम्ने (मेष) और उसकी दुल्हन के बीच इस विवाह की चित्र के साथ सुसमाचार समाप्त होता है।

आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेम्ने का विवाह आ पहुँचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है।

प्रकाशितवाक्य 19:7

समापन वाला यह अध्याय निमंत्रण देता है क्योंकि यह मेम्ने और उसकी दुल्हन के आलौलिक मिलन को देखता है

आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले।

प्रकाशितवाक्य 22:17

कुंभ विवाह करेगा और वह हमें वह दुल्हन बनने के लिए आमंत्रित कर रहा है, जिसे मिथुन के साथ बहुत पहले – मेम्ने और उसकी दुल्हन के आलौलिक मिलन चित्रित किया गया था।

मिथुन राशिफल

राशिफल यूनानी भाषा के शब्द ‘होरो’ (घड़ी) से आया है और इस कारण यह विशेष घड़ी के अर्थ को देता है। यीशु ने विवाह के भोज की अपनी कहानी में मिथुन की घड़ी (होरो) को चिन्हित किया है।

1“तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुँवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं। 2उनमें पाँच मूर्ख और पाँच समझदार थीं। 3मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया; 4परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी भर लिया। 5जब दूल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊँघने लगीं और सो गईं। 6“आधी रात को धूम मची: ‘देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।’ 7तब वे सब कुँवारियाँ उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं। 8और मूर्खों ने समझदारों से कहा, ‘अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जा रही हैं।’ 9परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया, ‘कदाचित् यह हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है कि तुम बेचनेवालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो।’ 10जब वे मोल लेने को जा रही थीं तो दूल्हा आ पहुँचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ विवाह के घर में चली गईं और द्वार बन्द किया गया। 11इसके बाद वे दूसरी कुँवारियाँ भी आकर कहने लगीं, ‘हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे!’ 12उसने उत्तर दिया, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता।’ 13इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को।

मत्ती 25:1-13

जब भोजन तैयार हो गया तो उसने अपने दास के हाथ आमन्त्रित लोगों को कहला भेजा, ‘आओ, अब भोजन तैयार है।

लूका 14:17

मिथुन राशिफल में दो घड़ियाँ होती हैं। यीशु ने शिक्षा दी कि एक निश्चित परन्तु अज्ञात घड़ी है, जब विवाह होगा और कई लोग इसमें भाग लेने से रह जाएँगे। यह दस कुँवारियों के दृष्टान्त की मुख्य बात है। कुछ नियत समय के लिए तैयार नहीं थीं और इसलिए चूक गईं। परन्तु यह घड़ी अभी भी खुली हुई है और विवाह के भोज के निमंत्रण को अभी भी सभों को भेजा जा रहा है। यह वह घड़ी जिसमें हम अभी जी रहे हैं। हमें इसमें बस आने की जरूरत है, क्योंकि उसने भोज की तैयारी कर ली है।

आपकी मिथुन राशि को पढ़ना

आज के दिनों में आप मिथुन राशिफल को पढ़कर निम्न प्रकार से लागू कर सकते हैं।

मिथुन घोषणा करती है कि आपके सबसे महत्वपूर्ण रिश्ते को बनाने के लिए निमंत्रण अभी भी खुला है। सितारे कहते हैं कि केवल यही वह रिश्ता है, जिसे बनाने के लिए आपको आमंत्रित किया गया है, जो आपकी सभी कोशिशों को पूरा कर देगा – आलौकिक शाही परिवार में गोद लिया जाना और साथ ही आलौकिक विवाह – जो कभी नष्ट नहीं होगा, बिगड़ेगा या फीका नहीं होगा। परन्तु यह दूल्हा सदैव तक इंतजार नहीं करेगा। इसलिए सतर्क और शांत मन के साथ, अपनी आशा को उस अनुग्रह पर लगाएँ, जब यह दूल्हा उसके आने पर प्रकट होगा।

अपने आलौकिक पिता की आज्ञाकारी सन्तान के रूप में, अपनी इस मंजिल के प्रति अज्ञानता में बने रहते हुए अपनी बुरी इच्छाओं के अनुरूप न हों जाएँ। चूंकि जब आप हे पिता कहकर उससे प्रार्थना करते हो, जो बिना पक्षपात हर एक के काम के अनुसार न्याय करता है, तो अपने परदेशी होने का समय भय से बिताओ। इसलिये सब प्रकार का बैरभाव और छल और कपट और डाह और निन्दा को दूर करके, नये जन्मे हुए बच्‍चों के समान निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करें, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ, क्योंकि आपने प्रभु की कृपा का स्वाद चख लिया है। आपका श्रृंगार दिखावटी न हो, अर्थात् बाल गूँथना, और सोने के गहने, या भाँति भाँति के कपड़े पहिनना। वरन् आपका छिपा हुआ और गुप्‍त मनुष्यत्व, नम्रता और मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्जित रहे, क्योंकि इसका मूल्य आने वाले दूल्हे की दृष्टि बड़ा है।

अंत में, अपने आसपास के लोगों के प्रति सहानुभूति रखने वाले, भाईचारे की प्रीति रखने वाले, करुणामय और नम्र बनो।  अपने आस-पास के लोगों को दिखाई देने वाले ये गुण आपकी मंजिल के अनुकूल दिखाई देंगे – क्योंकि आपके चारों ओर के लोगों को भी उसी शाही जन्मसिद्ध अधिकार और विवाह में आमंत्रित किया गया है।

राशि चक्र की कहानी के माध्यम से और मिथुन राशि में गहराई से जाते हुए आगे बढ़ना

मुक्तिदाता ने मिथुन राशि को बहुत पहले तारों में यह संकेत देने के लिए रखा था कि वह अपने छुटकारे के काम को पूरा करेगा। मिथुन एक पहिलौठे भाई के लिए हमें गोद लेने और हमारी आलौकिक विवाह को दर्शाता है। परन्तु उससे पहले कर्क राशि के चिन्ह को अवश्य प्रगट होना होगा जिसे हम आगे देखते हैं।

प्राचीन ज्योतिष विज्ञान की मुख्य बातों को यहाँ से जानें। इसकी शुरुआत को कन्या राशि से आरम्भ कीजिए।

मिथुन राशि से सम्बन्धित लिखित रचनाओं को गहराई से समझने के लिए यहाँ पढ़ें:

• रामायण से बेहतर एक प्रेम महाकाव्य

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