प्राचीन ज्योतिष शास्त्र से आपकी कर्क राशि

केकड़ा कर्क के सामान्य चित्र को निर्मित करता है, यह शब्द केकड़े के लिए उपयोग होने वाले लैटिन शब्द से आया है। आज के आधुनिक ज्योतिष विज्ञान के राशिफल में प्राचीन राशिफल पढ़ने के लिए, आप प्रेम, अच्छे भाग्य, स्वास्थ्य की खोज करने के लिए कर्क राशि के लिए इस राशिफल से सम्बन्धित सलाह का पालन करते हैं, और अपनी कुंडली के माध्यम से अपने व्यक्तित्व के लिए गूढ़ ज्ञान को प्राप्त करते हैं।

परन्तु क्या हमारे पूर्वजों ने कर्क को इस तरह से पढ़ा था?

मूल रूप में इसका अर्थ क्या था?

सावधान रहिए! इसका उत्तर देने से आपकी ज्योतिष विद्या अनपेक्षित तरीके से खुल जाएगी – आपको एक अलग ही यात्रा पर ले जाएगी, उस तुलना में जिसका आपने अपनी कुंडली की जाँच करते समय इरादा किया था…

हमने प्राचीन ज्योतिष विद्या की खोज की, और कन्या से मिथुन राशि तक की प्राचीन कुंडली की जाँच करने के बाद, हम कर्क राशि के साथ आगे बढ़ते हैं।

तारों में कर्क नक्षत्र का ज्योतिष विज्ञान

कर्क तारा नक्षत्र के इस नीचे दिए गए चित्र को देखें। क्या आप तारों में केकड़े जैसा कुछ देख सकते हैं?

            कर्क तारा नक्षत्र का चित्र। क्या आप एक केकड़ा देख सकते हैं?

यदि हम कर्क राशि के तारों को रेखाओं से जोड़ते हैं, तो केकड़े को ‘देखना’ कठिन होता है। यह उल्टा Y जैसा दिखता है।

रेखाओं से जुड़े हुए तारों के साथ कर्क राशि

यहाँ नीचे राष्ट्रीय भूगौलिक राशि चक्र का तारों वाला एक आरेख दिया गया है, जिसमें उत्तरी गोलार्ध में कर्क को दिखाया गया है।

राष्ट्रीय भूगौलिक राशि चक्र का तारों वाला आरेख जिसमें कर्क पर गोला लगाया हुआ है

लोगों ने सबसे पहले इससे केकड़े का आविष्कार कैसे किया? परन्तु यह चिन्ह मानव इतिहास को हम जहाँ तक जानते हैं, उसमें कर्क राशि का यह चिन्ह वहाँ तक वापस चला जाता है।

अन्य राशि नक्षत्रों की तरह, कर्क राशि का चित्र स्वयं नक्षत्र मण्डल के भीतर से ही स्पष्ट नहीं होता है। अपितु सबसे पहले केकड़े का विचार आया। पहले ज्योतिषियों ने तब ज्योतिष विज्ञान के माध्यम से तारों पर केकड़े की चित्र को गढ़ा। हमारे पूर्वज अपनी सन्तानों को केकड़ा सम्बन्धी नक्षत्र बता सकते थे और उन्हें इससे जुड़ी कहानी को बता सकते थे।

क्यों? हमारे पूर्वजों के लिए इसका क्या अर्थ था?

राशि में कर्क

यहाँ कर्क राशि के कुछ सामान्य ज्योतिष विज्ञान सम्बन्धी चित्र दिए गए हैं

 एक केकड़े के साथ कर्क ज्योतिष विज्ञान का चित्र
कर्क राशि के ज्योतिष विज्ञान में केकड़े से सम्बन्धित एक और चित्र
क्रेफ़िश अर्थात् चिंगट के साथ कर्क राशि का चित्र, केकड़े और कर्क पर नहीं अपितु 69 के प्रतीक पर ध्यान दें

यहाँ नीचे 2000 वर्ष से अधिक पुराने मिस्र के डेंडेरा मन्दिर में इस राशि से सम्बन्धित चित्र दिया गया है, जिसमें कर्क की छवि पर लाल रंग का गोला लगाया हुआ है।

प्राचीन मिस्र के डेंडेरा मन्दिर में राशि चक्र में कर्क राशि पर गोला लगाया हुआ है

यद्यपि आरेख में चित्र को ‘केकड़ा’ लिखा गया है, परन्तु यह वास्तव में एक झींगुर की तरह दिखाई देता है। लगभग 4000 साल पहले के प्राचीन मिस्र के अभिलेखों ने कर्क को स्कारबियस (गुबरैला) झींगुर के रूप में वर्णित किया है, जो उनकी अमरता का पवित्र प्रतीक है।

प्राचीन मिस्र में गुबरैला पुनर्जन्म या नवजीवन का प्रतीक था। एक गुबरैला झींगुर, या गुबरैला झींगुर-सिर वाला व्यक्ति, आमतौर पर मिस्र के देवता खेपरी, अर्थात् उगते हुए सूरज को दर्शाता है।

खेपरी, प्राचीन मिस्र का एक देवता था जिसे एक झींगुर के सिर के साथ दिखाया जाता था।[1] नए राज्य के मकबरे के चित्रों पर आधारित
प्राचीन कहानी में कर्क

हमने देखा कि बाइबल कहती है कि सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने अपनी कहानी प्रकट करने के लिए नक्षत्रों को बनाया। यह कन्या राशि से लेकर अन्य

राशियों तक हमें इसी कहानी को दिखा रहे हैं।

कर्क कहानी को आगे बढ़ाता है। हो सकता है कि आप आधुनिक कुंडली भावार्थ में कर्क न हों, परन्तु कर्क राशि की ज्योतिषीय कहानी जानना लाभदायी है।

कर्क का मूल अर्थ

प्राचीन मिस्रवासी उस राशि चक्र की कहानी के समय के बहुत निकट थे, इसलिए आधुनिक ज्योतिष विज्ञान की कुंडली के केकड़े की अपेक्षा गुबरैला झींगुर, कर्क राशि जैसी प्राचीन राशि के अर्थ को समझने के लिए एक कुंजी का काम करती है। मिस्र के वैज्ञानिक सर वालेस बज़ ने खेपेरा और प्राचीन मिस्रवासियों के गुबरैला झींगुर के बारे में कुछ इस तरह से लिखा था

खेपेरा एक पुराना आदिम देवता था, और इस प्रकार का पदार्थ जिसमें जीवन के कीटाणु होते हैं जो एक नए अस्तित्व में बसने वाले हैं; इस प्रकार उन्होंने उस मृत शरीर का प्रतिनिधित्व किया जिससे आध्यात्मिक शरीर उठने वाला था। उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है जिसके सिर के लिए एक भृंग है और यह कीट उसका प्रतीक बन गया क्योंकि इसे स्व-उत्पन्न और स्व-निर्मित माना जाता था।सर

डब्ल्यू ए बज़। मिस्र का धर्म पृ 99

गुबरैला झींगुर: जी उठने का प्राचीन प्रतीक

वयस्क झींगुर में बदलने से पहले गुबरैला झींगुर जीवन के कई चरणों में से गुज़रता है। अंडों से निकलने के बाद, गुबरैला कृमि जैसा लार्वा बन जाता है, जिन्हें ‘गुब’ कहा जाता है। ‘गुब’ के रूप में वह अपना अस्तित्व को जमीन में नीचे रहकर बनाए रखते हुए, गोबर, कवक, जड़ या सड़े हुए मांस जैसे सड़ने वाले पदार्थों का भोजन करते हैं।

‘गुब’ के रूप में रेंगने वाले जीवन को प्राप्त करने के बाद, इसका ककून अर्थात् कोवा फिर स्वयं को एक क्रिसलिस अर्थात् कोषस्थ कीट में बदल लेता है। इस अवस्था में सभी गतिविधियां बंद हो जाती हैं। अब भोजन नहीं लिया जाता है और सभी इंद्रियाँ काम करना बंद कर देती हैं। जीवन के सभी कार्य बंद हो जाते हैं और गुबरैला कोवा के अंदर रहते हुए शीतनिद्रा में रहता है। यहाँ गुब कायापलट की प्रक्रिया में से गुजरता है, जिसमें इसका शरीर घुल जाता है और फिर से जुड़ जाता है। नियत समय पर ककून में से वयस्क गुबरैला बाहर निकलता है। इसका वयस्क झींगुर जैसा स्वरूप कृमि के शरीर से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है जो कि केवल जमीन में रेंग सकता था। अब झींगुर फूटता है, उड़ता है और अपनी इच्छा से हवा और धूप में उड़ता फिरता है।

प्राचीन मिस्रवासियों ने गुबरैला झींगुर की पूजा की क्योंकि यह मनुष्यों को दिए गए पुनरुत्थान की प्रतिज्ञा का सबसे पहला प्रतीक था।

कर्क – जी उठने वाले शरीर का प्रतीक

कर्क घोषित करता है कि हमारा जीवन एक ऐसी ही पद्धति का पालन करता है। अब हम पृथ्वी पर रहते हैं, परिश्रम और पीड़ा के दास, अंधकार और संदेह से भरे हुए – केवल अक्षमताओं और मुसीबतों की गांठों के जैसे कि मानो पृथ्वी पर जन्मे और गंदगी से भरे हुए गुब की तरह हों, यद्यपि हमारे भीतर बीज और अंतिम महिमा को पाने की संभावना है।

तब हमारा सांसारिक जीवन मृत्यु में जाकर समाप्त हो जाता है और ममी-जैसी स्थिति में चला जाता है, जिसमें हमारा आंतरिक व्यक्ति मृत्यु में सोता है, हमारा शरीर कब्रों से बाहर निकलने के लिए पुनरुत्थान की पुकार की प्रतीक्षा करता रहता है। यही कर्क का प्राचीन अर्थ और प्रतीक था – जब उद्धारक पुकारता है तो शरीर का पुनरुत्थान आरम्भ हो जाता है।

ठीक वैसे ही जैसे गुबरैला शीतनिद्रा में से उठते हुए जाग जाता है, वैसे ही मृतक भी जाग जाएगा।

2जो भूमि के नीचे सोए रहेंगे उन में से बहुत से लोग जाग उठेंगे, कितने तो सदा के जीवन के लिये, और कितने अपनी नामधराई और सदा तक अत्यन्त घिनौने ठहरने के लिये। 3तब सिखानेवालों की चमक आकाशमण्डल की सी होगी, और जो बहुतों को धर्मी बनाते हैं, वे सर्वदा तारों के समान प्रकाशमान रहेंगे।

दानिय्येल 12:2-3

यह तब होगा जब मसीह हमें अपने पुनरुत्थान के पथ पर चलने के लिए बुलाएगा।

20परन्तु सचमुच मसीह मुर्दो में से जी उठा है, और जो सो गए हैं उनमें वह पहला फल हुआ। 21क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई, तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरुत्थान भी आया। 22और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसे ही मसीह में सब जिलाए जाएँगे, 23परन्तु हर एक अपनी अपनी बारी से : पहला फल मसीह, फिर मसीह के आने पर उसके लोग। 24इसके बाद अन्त होगा। उस समय वह सारी प्रधानता, और सारा अधिकार, और सामर्थ्य का अन्त करके राज्य को परमेश्‍वर पिता के हाथ में सौंप देगा। 25क्योंकि जब तक वह अपने बैरियों को अपने पाँवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है। 26सबसे अन्तिम बैरी जो नष्‍ट किया जाएगा, वह मृत्यु है। 27क्योंकि “परमेश्‍वर ने सब कुछ उसके पाँवों तले कर दिया है,” परन्तु जब वह कहता है कि सब कुछ उसके अधीन कर दिया गया है तो प्रत्यक्ष है कि जिसने सब कुछ उसके अधीन कर दिया, वह आप अलग रहा। 28और जब सब कुछ उसके अधीन हो जाएगा, तो पुत्र आप भी उसके अधीन हो जाएगा, जिसने सब कुछ उसके अधीन कर दिया, ताकि सब में परमेश्‍वर ही सब कुछ हो।

1 कुरिन्थियों 15:20-28

पुनरुत्थान का एक नया वैभव

जैसे वयस्क गुबरैला एक अलग सार का होता है, जिसमें कृमि जैसा ‘गुब’ अकल्पनीय गुणों और क्षमताओं के साथ बाहर निकलता है, ठीक वैसे ही हमारे पुनरुत्थान वाले शरीर आज के हमारे शरीर की तुलना में एक अलग सार के होंगे।

20पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहाँ से आने की बाट जोह रहे हैं। 21वह अपनी शक्‍ति के उस प्रभाव के अनुसार जिसके द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।

फिलिप्पियों 3:20-21

35अब कोई यह कहेगा, “मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और कैसी देह के साथ आते हैं?” 36हे निर्बुद्धि! जो कुछ तू बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता। 37और जो तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्पन्न होनेवाली है, परन्तु निरा दाना है, चाहे गेहूँ का चाहे किसी और अनाज का। 38परन्तु परमेश्‍वर अपनी इच्छा के अनुसार उसको देह देता है, और हर एक बीज को उसकी विशेष देह। 39सब शरीर एक समान नहीं : मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछलियों का शरीर और है। 40स्वर्गीय देह हैं और पार्थिव देह भी हैं। परन्तु स्वर्गीय देहों का तेज और है, और पार्थिव का और। 41सूर्य का तेज और है, चाँद का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, (क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है)। 42मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशवान् दशा में बोया जाता है और अविनाशी रूप में जी उठता है। 43वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है, और सामर्थ्य के साथ जी उठता है। 44स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है : जबकि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है। 45ऐसा ही लिखा भी है, कि “प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम जीवित प्राणी बना” और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना। 46परन्तु पहले आत्मिक न था पर स्वाभाविक था, इसके बाद आत्मिक हुआ। 47प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात् मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है। 48जैसा वह मिट्टी का था, वैसे ही वे भी हैं जो मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही वे भी हैं जो स्वर्गीय हैं। 49और जैसे हम ने उसका रूप धारण किया जो मिट्टी का था वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे।

1 कुरिन्थियों 15:35-49

राजा की वापसी पर

यह उसकी वापसी है जब यह घटित होगा।

13हे भाइयो, हम नहीं चाहते कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञानी रहो; ऐसा न हो कि तुम दूसरों के समान शोक करो जिन्हें आशा नहीं। 14क्योंकि यदि हम विश्‍वास करते हैं कि यीशु मरा और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्‍वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा। 15क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं कि हम जो जीवित हैं और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे, सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे। 16क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्‍वर की तुरही फूँकी जाएगी; और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे। 17तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें; और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। 18इस प्रकार इन बातों से एक दूसरे को शान्ति दिया करो।

1 थिस्सलुनीकियों 4:13-18

कर्क राशिफल

राशिफल यूनानी भाषा के शब्द ‘होरो’ (घड़ी) से आया है और इस कारण यह विशेष घड़ी के अर्थ को देता है। भविष्यद्वाणी के लेख ‘होरो’ को यीशु के माध्यम से कर्क राशि के लिए चिह्नित करते हैं।

24मैं तुमसे सच सच कहता हूँ, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजनेवाले पर विश्‍वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है। 25“मैं तुम से सच सच कहता हूँ वह समय आता है, और अब है, जिसमें मृतक परमेश्‍वर के पुत्र का शब्द सुनेंगे, और जो सुनेंगे वे जीएँगे। 26क्योंकि जिस रीति से पिता अपने आप में जीवन रखता है, उसी रीति से उसने पुत्र को भी यह अधिकार दिया है कि अपने आप में जीवन रखे।

यूहन्ना 5:24-26

एक विशेष समय आ रहा है, जब संसार को अस्तित्व में लाने वाला फिर से बोलेगा। जो सुनेंगे वे मरे हुओं में से जी उठेंगे। कर्क इस आने वाले पुनरुत्थान की घड़ी का प्रतीक था जिसे पूर्वजों ने तारों में से पढ़ा था।

आपकी कर्क राशि को पढ़ना

आज के दिनों में आप कर्क राशिफल को पढ़कर निम्न प्रकार से लागू कर सकते हैं।

कर्क आपको लगातार अपने पुनरुत्थान की आशा की प्रतीक्षा करने के लिए कहता है। जो लोग कहते हैं कि ऐसा कोई पुनरुत्थान नहीं आ रहा है, वह आपको मूर्ख ना बनाएँ। यदि आप केवल खाने-पीने और यहाँ और अभी के अच्छे समय के लिए जीवन व्यतीत करते हैं, तो आप मूर्ख बन जाएँगे। यदि आप पूरे संसार को प्राप्त कर लें और इसे प्रेमियों, सुखों और उत्साह से भर दें, परन्तु अपने प्राणों की हानि उठाएँ तो आपको क्या मिलेगा?

इसलिए दृढ़ बने रहें। कुछ भी आपको न हिलाए। अपनी आंखें दिखाई देने वाली चीजों पर नहीं, अपितु अनदेखी पर लगाएं। दिखाई देने वाली अस्थायी है, परन्तु अनदेखी शाश्वत है। अनदेखे जीवन की प्राप्ति के लिए सोती हुई एक बड़ी भीड़ की बढ़ोत्तरी हो रही है जो आपके साथ बुलाए जाने की प्रतीक्षा कर रही है। हर एक रोकनेवाली वस्तु और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिसमें हमें दौड़ना है धीरज से दौड़ें, और विश्‍वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें, जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके क्रूस का दु:ख सहा, और परमेश्‍वर के सिंहासन की दाहिनी ओर जा बैठा। उस पर विचार करो जिसने पापियों के ऐसे विरोध को सह , ताकि आप थक न जाएँ और हियाव न छोड़ें।

राशि चक्र की कहानी के माध्यम से और कर्क राशि में गहराई से जाते हुए आगे बढ़ना

मुक्तिदाता ने कर्क राशि को बहुत पहले तारों में यह संकेत देने के लिए रखा था कि वह पुनरुत्थान के माध्यम से अपने छुटकारे को पूरा करेगा। राशि चक्र की कहानी सिंह राशि के साथ समाप्त होती है।

प्राचीन ज्योतिष विज्ञान की मुख्य बातों को यहाँ से जानें। इसकी शुरुआत को कन्या राशि से आरम्भ कीजिए।

र्क राशि से सम्बन्धित लिखित रचनाओं को गहराई से समझने के लिए यहाँ पढ़ें:

• आपके लिए जीवन: जी उठने का पहला फल

• जीवन मुक्त, यीशु मृतकों के पवित्र शहर में यात्रा करता है

• दिन 7: विश्राम में स्वस्तिक

• यीशु का पुनरुत्थान:मिथक या इतिहास?